बिजली का बिल ठीक करने में देरी पर JE और CA पर लगा 13 हजार का जुर्माना
कैलाश ने बिल संशोधन से सम्बंधित शिकायत दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम सोहना (गुरूग्राम) कार्यालय में दी गई थी। उन्होंने बताया कि एमआरबीडी एजेंसी के मीटर रीडर ने जुलाई, 2022 में गलत तरीके से 1491 (केडब्लूएच) दर्ज किया, जबकि वास्तविक रीडिंग 779 (केडब्लूएच) थी। 18 जुलाई 2022 से लेकर 3 दिसंबर, 2022 तक एमसीओ को अपडेट नहीं किया। जिससे समय पर मामला तथा सही बिल बनाने में देरी की गई।
Gurugram News Network-हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम सोहना (गुरूग्राम) में कार्यरत जेई मुस्तकीम व कमर्शियल सहायक (सीए) दीपक कुमार पर 13 हजार रूपये का जुर्माना लगाया, जिसमें से जेई पर 10 हजार रुपये और कमर्शियल सहायक (सीए) पर 3 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। आयोग ने यह जुर्माना आवेदक को अधिसूचित सेवा निर्धारित समय सीमा में न देने व बिना किसी उचित कार्यवाही के अपील का निपटान करने के कारण लगाया गया।
प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि आवेदक कैलाश ने बिल संशोधन से सम्बंधित शिकायत दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम सोहना (गुरूग्राम) कार्यालय में दी गई थी। उन्होंने बताया कि एमआरबीडी एजेंसी के मीटर रीडर ने जुलाई, 2022 में गलत तरीके से 1491 (केडब्लूएच) दर्ज किया, जबकि वास्तविक रीडिंग 779 (केडब्लूएच) थी। 18 जुलाई 2022 से लेकर 3 दिसंबर, 2022 तक एमसीओ को अपडेट नहीं किया। जिससे समय पर मामला तथा सही बिल बनाने में देरी की गई।
आयोग उपरोक्त प्रतिक्रिया से संतुष्ट नहीं था, इसलिए आगे की जांच के लिए आयोग के मुख्य आयुक्त के समक्ष सुनवाई निर्धारित की गई थी। जांच मे पाया कि सीए, जेई, एसडीओ और एक्सईएन की ओर से बिल संशोधन के मामले में कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया। आयोग ने तत्कालीन एसडीओ लियाकत अली और एक्सईएन गौरव चौधरी को हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 के तहत निर्धारित अपने कर्तव्यों का सही निर्वहन करने में विफल पाया तथा इस मामले पर कड़ा संज्ञान लेते हुए ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को दोनों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की।
आयोग ने कहा कि मुख्य दोष जेई मुस्तकीम का है, जिन्होंने पांच महीने तक न तो एमसीओ में प्रवेश किया और न ही इसे स्वीकृत करवाया। इस शिकायत को पांच महीने तक लंबित रखने का उनके पास कोई उचित कारण नहीं साबित हुआ। आयोग ने यह भी पाया कि कमर्शियल सहायक (सीए) दीपक कुमार ने भी इस मामले में अनदेखी कि, क्योंकि वह इस मामले में नामित अधिकारी हैं।